कविता – मेरा गाँव
अपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है जैसे बूढे काका की परियो की कहानी है … लगे तो
Read Moreअपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है जैसे बूढे काका की परियो की कहानी है … लगे तो
Read Moreअब दब नहीं सकती आधी आबादी की ये बेटियाँ , जो दबाएँ इन्हें बन जाएँगी संहार की चिंगारियाँ , नहीं
Read Moreजब से तुम मेरे मन में हो उतरे जीवन के तुम प्राणदाता बन गए बासंती श्रृंगार मन को भाए रूप
Read Moreआज के लड़िका फैशन मैहा कतनेव रंग दिखावत है पान सुपारी मुहिमा राखे डैलिया हस मुह फैलावत है कोई रगड़ के चुना रगड़े कोई साजन पुकार खात है बस एक रुपैया मैहा नरक कै टिकट कटावत है बार रखावत ऐसे की जय सय नाचत गावत है टी बी पिक्चर छुटै नहीं पूरा ध्यान लगावत है पढे लिखय का बप्पा कहि दियय फुनुक फुनुक कै रोवत है आज के लड़िका फैशन मैहा कतनेव रंग दिखावत है
Read Moreसत्ता जहर है जिसका विष पी, मैं नीलकंठ बन जाऊंगा। “शिव” बनकर “शिव” करूंगा सबका, भस्मासुर को मिटाऊंगा। राजनीति की
Read Moreअखियों का नूर होती हैं प्यारी-प्यारी-प्यारी बेटियां दिल का सुरूर होती हैं प्यारी-प्यारी-प्यारी बेटियां अगर उसको अच्छे-से संस्कार दिए जाएं
Read Moreहम तो चलते -फिरते कवि हैं जो आया मन लिख देते है आप सभी का आशिष पा कर कुछ न
Read Moreबर्फ़ीली तूफ़ानों में लड़ता रहा रणधीर सर्पीली ग्लेशियर में लड़ा बहादुर वीर लड़ा बहादुर वीर बढ़ाया मान देश का शौर्य
Read Moreकोई दिवाना कहेता है,कोई मस्ताना कहेता है। मगर मेघ की फरियाद को,बस मयूर समझता है! नजदीक तो हैं हम यहाँ,जिस्मों
Read More