झूठ और सच
बच्चे सच को बोले झूठ और झूठ को बोले सच बच्चे ने मुख्याध्यापिका से छुट्टी लेने के लिए लिया
Read Moreआरक्षण की आग से देश सारा झुलस रहा ६५ सालों की आरक्षण की परिधि बाँहें फैलाए पाँव पसार रही जाति
Read Moreमैं गर्भ से हूँजल्द ही बियाऊँगीअपनी जैसी…एक हाड़-मांस की पुतली जिसे तपाकर, गलाकर बेड़ियों के सांचे में ढालकर …परम्पराओं की
Read Moreगुजर जाती है हर शाम उस वक्त को याद कर के,जो वक्त हसीं तो नहीं मगर अपना हुआ करता था,तुझे
Read Moreशरद ऋतु की दस्तक आ चुकी थी, गुनगुनी धूप राहत देकर बता रही थी, कि बिन बुलाए मेहमान की तरह,
Read Moreनींदें चुरा के मेरी, चैन से वो सो गया है कल तक था दिल जो मेरा, अब उसका हो गया
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