यादें : आज पुरानी किताब के पन्ने मैंने खोले
यादें फिर से मेरे सामने आकर के खिले तेरे – मेरे बीच की वो हँसी नज़दीकियाँ हर पल में याद
Read Moreयादें फिर से मेरे सामने आकर के खिले तेरे – मेरे बीच की वो हँसी नज़दीकियाँ हर पल में याद
Read Moreघेरे हुए थे मुझे चारों ओर से पीड़ामय जग के सारे बादल काले अपनी अँधेरी झोंपड़ी में अकेले बैठा मैं
Read More1. जीवन ये कहता है काहे का झगड़ा जग में क्या रहता है! 2. तुम कहते हो ऐसे प्रेम नहीं
Read Moreमैं नारी हूँ चाहूं स्वतंत्र, उन्मुक्त गगन भरूँ हौसलों की ऊँची उड़न ! कोई अदृश्य खूँटी न बाँधे मुझे… कि
Read Moreअपनी परिधि में… सिमटते, सिकुड़ते ! कई बार चाहा… इसे तोड़ पाऊँ ! जिम्मेदारियों के बंधन, जो बाँधे हैं मुझको
Read Moreपीछे मुड़ कर कभी न देखो, आगे ही तुम बढ़ते जाना, उज्वल ‘कल’ है तुम्हें बनाना, वर्तमान ना व्यर्थ गँवाना। संधर्ष आज तुमको
Read Moreमैंने जाने गीत बिरह के, मधुमासों की आस नहीं है, कदम-कदम पर मिली विवशता, साँसों में विश्वास नहीं है।
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