मौक्तिका (चीन की बेटी)
मौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको
Read Moreमौक्तिका (चीन की बेटी) 2*8 (मात्रिक बहर) (पदांत ‘कर डाला’, समांत ‘आ’ स्वर) यहाँ चीन की आ बेटी ने, सबको
Read Moreसर्दियों की ठिठुरती सुबह ठिठुरती सुबह की सुनहरी धूप आसमान पर छितराए बादलों का अनोखा था घनश्याम जैसा श्यामल रूप
Read Moreसुबह सुबह जप हरी का नाम, दिन और रात . ….सुधार ले होय प्रभु की महिमा न्यारी, सुलहा…..सीख…….उधार ले।।
Read Moreमेरी एक बहुत ही पुरानी रचना , शायद प्रथम प्रकाशित रचना. फिर प्रस्तुत करता हूँ.. नदी किनारे बैठे बैठे मैंने
Read Moreजो संवारा था घर आँगन डूबा है विरह में खोजता-फिरता हूं दलहीज पर उन स्पर्शों को जब याद दिलाती वो
Read Moreशब्द ही हंसाते हैं शब्द ही रुलाते हैं शब्दों से ही ख़ुशी, शब्द से ही दुःख हर एक मुस्कराहट के
Read Moreउन्मन मन, अर्थहीन जीवन, असाध्य पीड़ा हृदयविदारक, विषयासक्त के प्रति समर्पित, अबला एक नारी है। मनस्ताप अवर्णीय, आत्मकथा अकथनीय, दिनचर्या
Read Moreआदमी के प्यार को, रोता रहा है आदमी। आदमी के भार को, ढोता रहा है आदमी।। आदमी का विश्व में,
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