कविता : साया
आज सड़क पर देखा एक अकेला साया चला जा रहा था चुप चाप अपने में खोया सा मैंने धयान से
Read Moreआज सड़क पर देखा एक अकेला साया चला जा रहा था चुप चाप अपने में खोया सा मैंने धयान से
Read Moreकैसे व्यक्त करूँ मैं अपने हृदय की व्यथा। किंचितमात्र भी मुझको ना सुखों आभास हुआ। नियति के हाथों मेरा कैसा
Read Moreसात भगण दो गुरु माखन मीसिरि को नहि लागत मीठ मिठाइ जु मोहन मानो आवत हो तुम मोर घरे मटकी
Read Moreमत्तगयन्द सवैया =वार्णिक छन्द सात भगण अंत में दो गुरू मापनी =२११ २११ २११ २११ =२११ २११ २११ २२= २३
Read Moreकल – ए-बारिश तुझे बरसना है तो, दिल खोल के बरस, यूँ बूँद-बूँद कर तड़पाया मत कर, भीगना चाहता हूँ
Read Moreतेरी बाहो के झूलो में, कुछ ऐसे मैं खो जाऊं । प्यार की डोर से बँधकर मैं, दूर गगन मे
Read Moreउन्गली पकडकर चलते चलते, मैं जब भी गिर जाती थी । मुझे उठाकर लाड लडाते, मैं झट से हस जाती
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