कविता

प्यारे पापा

उन्गली पकडकर चलते चलते,
मैं जब भी गिर जाती थी ।
मुझे उठाकर लाड लडाते,
मैं झट से हस जाती थी ।
हर छोटी सी जीत मुझे वो,
जग जीता सा बतलाया ।
पाया जब जब मुझे अकेला,
साथ खडा उनको पाया ।
मां मुझको जब डाट लगाती,
मां की गलती ढूंढ रहे ।
जब आते आंखो में आसू,
मेरा माथा चूम रहे ।
प्यार भरा फिर हाथ फेर कर,
लाखों आशीष लुटाते हैं ।
खुद की नींदे दाव लगा कर,
चैन की नींद सुलाते हैं ।
मुझे समझते परी वो अपनी ,
राजकुमारी भी कहते ।
मेरी खुशी के खातिर वो,
जाने कितने दुख सहते ।
अन्धेरो से मैं डरती तो,
मेरा सहारा बन जाते ।
जिनमें हैं ये सारी खूबी,
मेरे पापा कहलाते ।
प्यारे पापा कहलाते ………………

अनुपमा दीक्षित मयंक

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com

One thought on “प्यारे पापा

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी अनुपमा जी, सचमुच पापा सबल सहारा होते हैं. अति सुंदर व सार्थक रचना के लिए आभार.

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