कविता

तेरी बाहो के झूले में

तेरी बाहो के झूलो में,
कुछ ऐसे मैं खो जाऊं ।
प्यार की डोर से बँधकर मैं,
दूर गगन मे उड जाऊं ।
रहे सुरक्षित सीप में मोती,
तेरे संग खुद को पाऊ ।
तेरे लिए ही गीत लिखे सब,
तेरे लिए उन्है गाऊ ।
मेरी खुशियां हैं तुझसे ही,
पाऊ तुझको जनम जनम ।
तू ही मेरा करम बना है,
तुम ही बन गए मेरे धरम ।
लोक लाज कुल की मर्यादा,
त्याग के तेरे दर आयी ।
तुमको जो पाया तो मैंने,
खुशियां जहाँ की हैं पायी ।
मै तो हूँ परछाई तेरी,
तुमसे ही अस्तित्व मेरा ।
पायल चूडी अरु कंगन मेरे,
जपते रहते नाम तेरा ।

अनुपमा दीक्षित मयंक

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com