“मुक्तक”
13-12 पर यति…….. कलियों को देख भौंरा, फूला समा रहा है फूलों के संग माली, मनमन अघा रहा है
Read Moreरात्रि का अर्द्धप्रहर नींद है कोसों दूर नयन से यही आभास होता है तुम कही पास ही हो मेरे आ
Read Moreगगनचुम्बी ईमारते संगमरमरी सड़कें आरामदायक वाहन बड़ी बड़ी सुरंगें वायुयान, ,जलयान विद्युत्, दूरभाष दूरदर्शन, कंप्यूटर से आरामदायक जीवन जीने की
Read Moreओढ़ मुखौटा बन कठपुतली जीएं सारे इस रंगमंच में…. खुद को भुला नित नयी भूमिका निभायें सारे इस रंगमंच में….
Read Moreमंच को सादर निवेदित है कुछ राधेश्यामी छंद पर प्रयास………. 16-16 पर यति, मात्रा भार- 32, पदांत गुरु, दो दो
Read Moreएक ही दिशा में बढ़ना समय की फितरत है, हम साथ चल दिए तो ठीक वरना, समय हमें पीछे छोड़
Read Moreआज बैठ गयी हूँ लिखने कुछ कविता कुछ कहानी नही मिलते शब्द तो क्या लिखूँ बात पुरानी प्यार की भाषा
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