महाकवि गोपाल दास जी नीरज की स्मृति में
फिसलता है पल -पल मुट्ठी में रेत सा । गिर्दाब है! वक्त कभी ठहरता नही।। छुपता है हर रोज शाम
Read Moreफिसलता है पल -पल मुट्ठी में रेत सा । गिर्दाब है! वक्त कभी ठहरता नही।। छुपता है हर रोज शाम
Read Moreसन 2014 के आम चुनावो के होने तक आम जनमानस की मनोदशा ऐसी ही थी…हर ओर सिर्फ अंधेरा ही दिखता
Read Moreपकड़ो साथी हाथ यह, हाथ-हाथ का साथ। उम्मीदों की है प्रभा, निकले सूरज नाथ।। निकले सूरज नाथ, कट गई घोर
Read Moreकाहे का सावन रे सखिया, जब साजन बसे परदेश ! रात बिजुरिया चमक डराये, जिया मे बने कलेश !! रिम-झिम-रिम
Read Moreआया सावन झूम के, लेकर तुनक मिज़ाज खोल दिया मौसम ने अपना छुपा हुआ सब राज भीग गई गोरी बीच
Read Moreसावन में साजन से मिलना अच्छा लगता है । मेहंदी और महावर से सजना अच्छा लगता है । ये चूड़ी
Read Moreहर कोई खुश हो रहा, ये सोचकर। हर किसी को खाना है, मुझको नोचकर।। भूख चाहे जैसी हो, इस इन्सान
Read Moreतुम अकेले हो जहां मे, मानकर चलना । अपनों की दावेदारी का, वो दौर कोई और था.।। भागती दुनिया नही
Read More