अन्य पुस्तकें

“ढाई कदम”: एक समीक्षा

प्रिय पाठकगण, आपको भलीभांति विदित है कि हम नए-नए लेखकों / कलाकारों से आपका परिचय करवाते रहते हैं. राकेश भाई हमको कैसे जानते हैं, ये तो हमें मालूम नहीं, पर हमारे पास मेल से उनके उपन्यास “ढाई कदम” पर समीक्षा लिखने का स्नेह-सिक्त अनुरोध आया था. हमने उपन्यास पढ़कर उस पर समीक्षा लिखी थी, जो […]

उपन्यास

भूमिका, घाट-84 “रिश्तों का पोस्टमार्टम” .डाॅ शीतल बाजपेई

भूमिका कविता सिंह तथा सौरभ दीक्षित “मानस” की संयुक्त रूप की यह पहली कृति है पर ऐसा बिल्कुल भी नही लगा मुझे,, बल्कि ऐसा लग रहा था कि मैं मंझे हुए लेखकों को पढ़ रही हूँ। आप जब कहानी पढ़ना आरम्भ करेंगे तो विश्वास कीजिये आप स्वयं को पूरी कहानी पढ़ने से रोक नही सकेंगे, […]

उपन्यास

घाट-84 “रिश्तों का पोस्टमार्टम” भाग- (एक) 1

घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम भाग-(एक) 1 “चलो कपड़े पहनते हैं अब इश्क़ पूरा हुआ…“ छी….!!!. “बस यही रह गया है प्यार-मुहब्बत का पर्याय।” कहते हुए निशा ने किताबों को पास रखी मेज़ पर पटका। मैंने पीछे पलटकर देखा तो यो लगा मानो सुपरफास्ट ट्रेन का बेक़ाबू इन्जन मेरी ओर दौड़ा चला आ रहा है जिसे […]

आत्मकथाएं

विंती पुस्तक की

नए ज़माने के नवयुवकों, यूँ मेरी पहचान न मिटाओ तुम, मेरा स्थान मेरा ही रहने दो, उस जगह न किसी और को बिठाओ तुम। कल तक पुस्तकालयों की शोभा थी मैं, न उन पर धूल जमाओ तुम, बचा लो वज़ूद मेरा इस जहाँ में, कर रही फ़रियाद हाथ जोड़ तुमसे मैं आज। माना आगे बढ़ना […]

ई-बुक ब्लॉग/परिचर्चा

होली का डिजिटल उपहार, ई.बुक काव्यालय सदाबहार

आप सब डिजिटल उपहार की परिकल्पना से अवगत हैं. उपहार, वह भी डिजिटल उपहार तो वास्तव में एक अनोखा उपहार होता है.   अब बात करते हैं आज के डिजिटल उपहार की. हमने आप सबको सदाबहार काव्यालय के लिए अपनी काव्य-रचनाएं प्रेषित करने का आह्वान किया था. आप लोगों ने इस आह्वान का स्वागत किया […]

ई-बुक

बाल काव्य सुमन- ई.बुक

कुछ समय पहले हमने 41 बाल कविताएं प्रकाशित की थीं. संपादक महोदय विजय भाई तथा कुछ अन्य पाठकों ने इसे ई.बुक के रूप में बनाने की इच्छा ज़ाहिर की थी, ताकि एक साथ कविताओं का रसास्वादन किया जा सके. ये कविताएं हमने 40 साल पहले तब लिखी थीं, जब हमारे बच्चे छोटे थे और जी […]

ई-बुक

चित्रमय-काव्यमय कहानियां- ई.बुक

कुछ समय पहले हमने 17 चित्रमय-काव्यमय कहानियां लिखी थीं. संपादक महोदय विजय भाई तथा कुछ अन्य पाठकों ने इसे ई.बुक के रूप में बनाने की इच्छा ज़ाहिर की थी, ताकि चित्रमय-काव्यमय कहानियां सचित्र देखी-पढ़ी जा सकें. ये चित्रमय-काव्यमय कहानियां हमने 40 साल पहले तब लिखी थीं, जब हमारे बच्चे छोटे थे और जी भरकर कहानियां […]

आत्मकथाएं

सौगात

प्रिय गुरमैल भाई जी, आपको वसंत पंचमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. पेशे खिदमत है आपके लिए वसंत पंचमी का सुहानी सौगात. आपकी लिखी आत्मकथा का चौथा भाग आपकी ही नज़र है मेरी कहानी-4. बताइएगा, केसर वाले नारियल के लड्डू कैसे बने हैं.