स्मृति के पंख – 8
कुछ अरसा बाद गढ़ी कपूरा में भाई श्रीराम (बहन गोरज के पति) का कोई खास काम भी न था। बहन
Read Moreकुछ अरसा बाद गढ़ी कपूरा में भाई श्रीराम (बहन गोरज के पति) का कोई खास काम भी न था। बहन
Read Moreपिछली कड़ियों में अपनी जापान यात्रा का पूर्ण विवरण दे चूका हूँ। जापान से लौटने वाले दिन सड़क पर जाम के
Read Moreमेरे दिल में भी बड़ा उत्साह था। बी.आर. के शाना बशाना काम करूं। बी.आर. ने मुझे कहा जैसी जरूरत होगी,
Read More28.10.1990 (रविवार) ये पंक्तियाँ मैं टोकियो से दिल्ली उड़ान के दौरान लिख रहा हूँ। मेरी पिछली रात उसी तरह सीटों
Read Moreअब दुकान का काम मैं पूरी तरह कर लेता। सुबह की ड्यूटी मेरी थी। सुबह दुकान खोलना तकरीबन 5 बजे।
Read Moreअब मैंने अपनी बुद्धि से थोड़ा काम लिया। सबसे पहले तो मैंने यह तय किया कि होटल में ठहरने का
Read Moreबैसाखी का दिन था, मरदान के पास डेरा बाबा कर्मसिंह पर मेला लगता था। भ्राताजी और कुछ साथी मेला देखने
Read More26.10.1990 (शुक्रवार) आज हमारा टोकियो में अन्तिम दिन था। मेरी उड़ान इटालियन एयर लाइन्स अलइटालिया के साथ बुक थी, जो
Read Moreएक दिन पड़ोस में गन्दम (गेहूँ की एक किस्म) पिसवाने के लिए चक्की पर देने के लिए गया। हम 10-12
Read Moreवहाँ से श्री हिरानो मेरे लिए हीयरिंग रोड दिलवाने एक जगह ले गये जिसे इलैक्ट्रिकल सिटी (बिजली का नजर) कहा
Read More