हमारा नया और बड़ा कम्प्यूटर बरोज कम्पनी का था। उसकी देखरेख का ठेका सीएमसी लि. नामक कम्पनी को दिया गया था। उस कम्पनी के एक हार्डवेयर इंजीनियर हमारे सेक्शन में स्थायी रूप से पदस्थ थे। उनका नाम था श्री बाला सुब्रह्मण्यम्। उनको बोलचाल में सब ‘बालू’ कहते थे, लेकिन मैं उन्हें पीछे से ‘भालू’ कहता […]
आत्मकथा
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 9)
हमारे सेक्शन के भवन में कोरबा डिवीजन (जिला अमेठी) के जो दो अधिकारी बैठते थे वे थे श्री अजय अग्रवाल और श्री राजीव श्रीवास्तव। दोनों बहुत मस्तमौला आदमी थे। चुटकुले सुनाने में माहिर थे। खास तौर से अजय अग्रवाल लगभग हर हफ्ते या 15 दिन मेंएक धाँसू चुटकुला लाते थे (जाने कहाँ से) और अपनी […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 8)
कु. किरण मालती अखौरी हमारे विभाग में एक मात्र महिला अधिकारी थीं। वे बिहार की रहने वाली थीं। उनके पिताजी डाक्टर थे और माँ केरल की थीं, जिनको वह ‘अम्मा’ कहती थी। किरण देखने में बहुत सुन्दर लगती थीं। उनकी आँखें बहुत सुन्दर थीं। उनकी आवाज भी काफी मीठी थी (जैसा कि दूसरे लोग बताते […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 7)
श्री सैयद शकील परवेज़ चिश्ती (संक्षेप में एसएसपी चिश्ती) बहुत सज्जन व्यक्ति हैं। देखने में कुछ खास नहीं, लेकिन दिल के बहुत अच्छे हैं। मेरी काफी मदद किया करते थे। वे धीरे-धीरे उन्नति करते हुए वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर पहुँच चुके हैं। हमने लखनऊ में साथ-साथ मकान खरीदे थे और उनका घर हमारे ही […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 6)
एच.ए.एल. में मेरे समूह के प्रमुख थे श्री राजीव किशोर। आप यों तो ‘अग्रवाल’ थे, परन्तु जातिवाद में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने विवाह भी अन्तर्जातीय किया था। उनकी पत्नी श्रीमती सुजाता शर्मा या पाण्डेय, जो बाद में अपना नाम ‘सुजाता किशोर’ लिखने लगी थीं, एच.ए.एल. में ही एक अन्य विभाग में ग्रेड-2 अधिकारी थीं। […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 5)
एच.ए.एल. में अपनी सेवा प्रारम्भ करने के तीन-चार माह बाद ही मेरी नौकरी खतरे में पड़ गयी। कारण बने ज.ने.वि. में हमारे खिलाफ लगाये गये झूठे केस। सरकारी नौकरी शुरू करने वालों को अन्य सूचनाओं के साथ ही अपने ऊपर लगे हुए सभी केसों की भी जानकारी देनी पड़ती है और उस सूचना का पुलिस […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 4)
फैक्टरी होने के कारण एच.ए.एल. में शिफ्टों में काम होता है। वैसे सभी प्रशासनिक कार्यालय केवल एक शिफ्ट में चलते हैं, जिसे जनरल शिफ्ट या जी शिफ्ट कहा जाता है। हमारा सेक्शन भी मुख्य रूप से जनरल शिफ्ट में ही चलता था, जिसका समय प्रातः 8 बजे से 4.30 बजे तक था। बीच में दोपहर […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 3)
अब एच.ए.एल. के बारे में विस्तार से बताना उचित होगा। हिन्दुस्तान ऐरोनाॅटिक्स लि. एक लड़ाकू हवाई जहाज बनाने की सरकारी फैक्टरी है। यह हालांकि एक सार्वजनिक उपक्रम है, परन्तु रक्षा मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में रहती है। इसके कई मंडल (डिवीजन) हैं, जिनमें जहाजों के विभिन्न भागों का निर्माण किया जाता है। इसका मुख्यालय बंगलौर […]
आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 2)
अपनी आत्मकथा के पहले भाग ‘मुर्गे की तीसरी टाँग उर्फ सुबह का सफर’ में मैं लिख चुका हूँ कि किस प्रकार बड़ी मुश्किल से मेडीकल में पास होने के बाद मुझे हिन्दुस्तान ऐरोनाॅटिक्स लि. लखनऊ में कम्प्यूटर विभाग के एक अफसर के रूप में नौकरी प्रारम्भ करने की अनुमति मिली थी। यह समस्या हल होने […]
आत्मकथा : दो नम्बर का आदमी (कड़ी 1)
प्राक्कथन जड़ चेतन गुन दोषमय विश्व कीन्ह करतार। संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि वारि विकार।। सियाराम मय सब जग जानी। करहुँ प्रणाम जोरि जुग पानी।। कुछ समय पूर्व ही मैंने अपने विद्यार्थी जीवन की कहानी ‘मुर्गे की तीसरी टाँग’ उर्फ ‘सुबह का सफर’ लिखकर समाप्त की है। मेरे कई मित्रों और सहकारियों ने इसे […]