बोधकथा

चोरी का फल

गुरु नानक देव जी अपने दो शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले, जब बहुत देर हो गई चलते चलते, तब एक घने पेड़ की छाया में विश्राम करने के लिए रुक गए, दोनों शिष्यों का भी भूख प्यास से बुरा हाल था, गुरु जी ने अपने झोले से कुछ रसदार फल निकाले और शिष्यों को […]

बोधकथा

एक मुट्ठी बीडी

मानू और छानू दोनों बचपन के मित्र हैं | लेकिन दोनों की सोंच और विचारधाराओं में जमीन-आसमान का अंतर है | मानू हर बात को गंभीरता से सकारात्मक रूप में लेता है तो छानू नकारात्मक व लापरवाह है | मानू हर कदम पर अच्छाई को देखता-परखता है वहीँ छानू हर चीज में बुराई देखता है […]

बालोपयोगी लेख बोधकथा सामाजिक

पिता

गुस्से से मैं घर से चला आया, इतना गुस्सा था की गलती से पापा के जूते पहने गए। मैंआज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा। जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे,तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है। आज मैं उठा लाया था, पापा का पर्स भी,जिसे […]