“संस्मरण”
गांव और आभाव दोनों का गहरा नाता रहा है। अब ऐसे परिवेश में क्या संस्मरण और कैसी यादें, जिंदगी रोटी
Read More“कौन आ गया सुबह सुबह?” द्वारकानाथ जी लाठी टेकते हुए दरवाजा खोलने गए और दरवाजा खुलते ही बच्चों की तरह खिलखिला
Read Moreलघुकथा- सजा सच माँ को पता नहीं था. बड़े मेहनती खेतिहर बेटे को छोटे नाकारा बेटे ने मार डाला था.
Read Moreएक दफा मुझे कुछ जरूरी काम के लिए इंडिया आना पड़ा था और यह वर्ष 1982 था। मैंने अकेले ही
Read Moreममता का इकलौता बेटा बहु को लेकर उदयपुर नौकरी के सिलसिले में जाने लगा तो ममता बहुत उदास हो गई,
Read Moreनही नही , तह- रुश मेरा नाम नही हैं। यह एक खेल है। इस खेल का आवश्यक खिलाड़ी हूँ मैं।
Read Moreपत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने
Read Moreरात का तीसरा पहर चल रहा होगा , चारो तरफ डरावना घुप अँधेरा ।बस्ती में इंसान तो क्या जानवर भी
Read Moreभारत में बैठे लोगों को बहुत बातों का पता नहीं होता कि बिदेस में भारतीय कैसे रहते हैं और उन
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