पॉकेट मनी
बरसों के बाद आज मनकू की पॉकेट मनी से भरी थी.बचपन में उसका नाम मनकू रखा गया था, पर उसके
Read Moreशर्मा जी! हमें और हमारे बेटे राहुल को आपकी बेटी नेहा पहली नजर में ही पसंद आ गई। इस बारे
Read Moreकाम का सम्मान “यार रघु, तुम्हें अब भी सब्जी का ठेला लगाते हुए संकोच नहीं होता ?” “संकोच ? क्यों
Read Moreविजय के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था। उनके खानदान में परपरा थी कि स्वर्गवासी के फूलों (अस्थियों )
Read Moreमकान बहुत बड़ा नहीं था। लेकिन रहनेवाले सदस्य बहुत सारे थे। दादाजी, ताऊजी, चाचाजी,सबके परिवार एक छत के नीचे बड़े
Read Moreसौजन्य भेंट “पापा, आपको जब भी कोई साहित्यकार मित्र अपनी पुस्तक भेंट करते हैं, तो वे बाकायदा आटोग्राफ देकर ही
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