लघुकथा – मजदूर दिवस
इस चिलचिलाती धूप में आज उनके घर बगीचे में कुछ क्यारियां और बनाई जा रहीं थीं
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Read Moreदादी कुछ पुरानी फोटो देख रहीं थीं और पोते को बता रही थीं-“देख गुड्डू, ये मैंने और
Read Moreलगभग साल भर हो गया आफिया के अब्बाज़ान अफ़ज़ल मियाँ का इंतकाल हुए। हर साल अफ़ज़ल आफिया-रियाज की शादी के
Read Moreमहीनों की उदासी के बाद आज छोटे-से बच्चे आलोक का चेहरा प्रसन्नता के प्रकाश से आलोकित हो रहा था. वह
Read Moreबात कोई पुरानी नहीं थी, बस कुछ ही महीने हुए थे शहर आए। एक अच्छी नौकरी, बड़ा सपना और ऊँची
Read More“दादू आप मुझे कभी जादुई संसार में नहीं ले चले, ले चलो न दादू!” छोटा-सा नितिन मचल गया.दादू ने कुछ
Read More“बोतल के ठंडे पानी से तुम्हारी तपन तो कुछ हद तक शांत हो गई, पर मेरी भयंकर तपन का क्या
Read More“सुहाना, आंटी जी किधर हैं? गांव वापिस चली गईं क्या?” सुधा जी को घर में न देख सुहाना की सहेली
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