लघुकथा – युग सत्य
बंदर बस्ती में आया तो कुत्ता बंदर को देखकर जोर-जोर से भौंकने लगा । बंदर ने देखा और बोला -“अबे
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Read Moreलगभग सौ घर वाले गांव में अब गिने चुने घर ही आबाद थे।वो भी शायद इसलिए कि उनकी अपनी मजबूरियां
Read Moreफुरसत के पलों में आलोक अपने पापा के साथ दुकान पर आ जाता। साड़ी की छोटी सी दुकान, लेकिन वाजिब दाम, सुंदर
Read Moreफूलों की रंग बिरंगी क्यारियां, मनभावन खुशबू उसे बहुत पसंद थी। भोर की मद्धम रोशनी, कलरव करते पंछी, रंग रंगीली
Read Moreडॉ.सुमित्रा जी मरीजों को रोज़ मरते देखती थीं. मेडिकल कॉलेज के एचडीओ यूनिट की इंचार्ज थीं वो. पर, आज वह
Read Moreमैं रायपुर के माना रोड से अपनी कार से कहीं जा रही थी कि मैंने देखा कि सड़क किनारे बांस
Read Moreराजेन्द्र और रोहिणी के बीच तलाक हुए दस बरस बीत गये। गौरव की परवरिश राजेन्द्र ने किया। गीतिका रोहिणी के
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