विदाई
बड़ी मुस्तैदी से सारे प्रबंध कर रहे थे अरविंद जी, पर उनका मन आज बहुत उदास था. शकुंतला आज विदा
Read More“आज दीपक बाबू को अहले सुबह मंदिर परिसर में झाड़ू लगाते लोगों ने देखा।” पत्नी ने चाय की चुस्कियाँ लेते
Read Moreसेठ हजारीलाल हजारों में नहीं, लाखों में खेलते थे. लाखों वालों का सम्मान तो हर जगह होता ही है! होता
Read Moreपांच दिन आइ.सी.यू. में रहने के बाद शेफाली 15 दिन बाद पार्क में सैर करने आई थी. सामने से आइ.सी.यू.
Read Moreकुम्हार ने मिट्टी से चिलम बनाई और फिर तोड़ दी, न जाने क्यों उसे रास नहीं आई! मिट्टी से ही
Read More“राजेश जी आप चांदनी चौक तरफ ही रहते हैं न ?” ऑफिस से निकलते ही डायरेक्टर साहब की स्टेनो उर्वशी
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