लघुकथा

एहसान

रमेश ने अपनी पत्नी सीमा से कहा, ‘आज सुरेश और उसकी पत्नी सुजाता लंच पर आ रहे हैं, कुछ अच्छा सा बना लेना।’ सीमा ने कहा, ‘अच्छा है, मुझे भी सुरेश भैया की पत्नी सुजाता से मिलने की उत्सुकता है। आप कहते हो न कि वह हमेशा बहुत समझदारी की बातें करती है।’

‘क्यों नहीं, जरूर मिलना, और बातचीत करना।’ रमेश ने कहा।

सुरेश और सुजाता लंच से एक घंटे पहले ही आ गए थे। रमेश की पत्नी ने चाय नाश्ता दिया और फिर सब बातों में मशगूल हो गए। कुछ देर बाद रमेश के बुजुर्ग माता-पिता भी कमरे में आ गए। सुरेश और सुजाता ने उन्हें नमस्ते की और वह भी उन लोगों के साथ बातों का रस लेने लगे। बुजुर्ग कुछ अस्वस्थ होने के कारण ज्यादा देर उनके साथ नहीं बैठ सके, और अपने कमरे में चले गए। कुछ देर बाद सीमा और सुजाता उठकर रसोई में लंच तैयार करने चले गए। फिर सबने मिलकर खाना खाया। खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था।

सुजाता ने मां-बाबूजी को भी खाना दिया। कुछ देर बाद ही सीमा मां-बाबूजी के कमरे से खाने के बर्तन ले आई। सुरेश और सुजाता में देखा कि उन्होंने सारा खाना वैसे का वैसे ही लौटा दिया था। सीमा ने बताया, ‘आजकल यह बहुत दुखी करती हैं। बात-बात पर उल्टा-सीधा बोलते रहते हैं। सब्जी-दाल में मीन-मेख निकालते रहते हैं। अच्छी-भली बनी चीज को भी खराब बताते हैं। अच्छा-भला तो खाना बना है।’

रमेश ने कहा, ‘यार, आजकल मां-बाबूजी दोनों ही अस्वस्थ चल रहे हैं। नौकरी के साथ-साथ कुछ ज्यादा ही देखभाल और सेवा करनी पड़ती है।’

सुरेश ने पूछा, ‘और तुम्हारा जो एक भाई और उसकी पत्नी है, वे उनका ख्याल नहीं रखते?’

रमेश ने बताया, ‘नहीं, वे तो अलग ही बना-खा रहे हैं। इनकी जिम्मेदारी हमारे ऊपर ही है।’

लंच के बाद सुरेश और रमेश एक कमरे में, और सुजाता और सीमा दूसरे कमरे में जाकर बातें करनेलगे।

सीमा ने सुजाता को बताना शुरू किया, ‘दीदी, इनकी देखभाल और सेवा करना हमारी जिम्मेदारी है।। मैं इन्हें समय से खाना खिलाना, दवा देना और अन्य जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करती हूं। एक तो हम इन्हें खिला-पिला रहे हैं, इनकी सेवा और एनी जरूरतें पूरी करके इन पर एहसान कर रहे हैं, फिर भी ये कुछ ना कुछ उल्टा-सीधा बोलते ही रहते हैं। इनकी इन्हीं बातों से मैं बहुत दुखी और तनाव में रहती हूं।’

सुजाता ने बड़े प्यार और अपनत्व से सीमा को समझाया, ‘अरे नहीं, ऐसी बात नहीं है। इस उम्र में बुजुर्ग थोड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं, और आपने बताया कि इन दिनों उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है, तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि उनका ख्याल रखें। एक जरूरी बात, जिस दिन आप अपने दिमाग से यह बात निकाल देंगीं कि आप इनकी सेवा करके इन पर एहसान कर रही हैं, और केवल इनकी सेवा मन से करेंगी, उस दिन आप इनकी बातों से दुखी नहीं होंगीं, और न ही आपको कोई तनाव होगा। बल्कि आप इनकी सेवा खुशी-खुशी अच्छे से कर सकेंगीं। आप तो बड़े भाग्यशाली हैं, जो आप लोगों को बुजुर्गों की सेवा करने का अवसर मिल रहा है, जो कि सभी के नसीब में नहीं होता। यही संस्कार आगे आपके बच्चों में भी जाएंगे, क्योंकि बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं, और जो सीखेंगे, वही करेंगे भी – अपना कर्तव्य समझ कर, एहसान समझ कर नहीं…।’

सीमा समझ गई थी, ‘सुजाता दीदी, आप सच में बहुत समझदार हैं।’

— विजय कुमार

विजय कुमार

पिता ः श्री रतनलाल माता ः श्रीमती पार्वती देवी जन्म ः 30-03-1974 शिक्षा ः ऑनर्स इन हिन्दी (प्रभाकर), कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से लेखन व पत्रकारिता के कोर्स। लेखन ः देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित। विधाएं ः लघुकथा, सम-सामयिक लेख व अन्य संपादन ः 1. शुभ तारिका (मासिक), सह-संपादक 2. हर वर्ष पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पूर्वोत्तर वार्ता’ स्मारिका का प्रबन्ध संपादक विशेष ः विकिपीडिया पर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन द ग्रेट खली दलीप सिंह राणा पर एक लेख ‘महाबली खली ने मचाई खलबली’ सहभागिता ः हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के 65वें अधिवेशन : विश्वभारती, शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल, दि. 16-18 मार्च 2013 को सक्रिय रूप से भाग लिया। सम्मान ः हिमालय और हिन्दुस्तान फाउण्डेशन, ़ऋषिकेश, उत्तराखण्ड द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान 2010 पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय द्वारा ‘केशरदेव गिनियादेवी बजाज स्मृति सम्मान-2013’, ‘श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान-2015’, ‘अनूप बजाज युवा लेखक सम्मान-2018’, ‘प्रोग्रेसिव फाउंडेशन’ की ओर से स्मृति चिह्न, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उ.प्र. की जिला सहारनपुर इकाई द्वारा आयोजित जिला सम्मेलन एवं संगोष्ठी के अवसर पर सम्मान 2014 सखी साहित्य परिवार, गुवाहाटी, असम की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत, हरियाणा द्वारा माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर ‘लघुकथा दिवस रत्न सम्मान-2020’, वरिष्ठ लघु कथाकार उर्मिला कौल की स्मृति में लघुकथा उत्सव के अवसर पर ‘उर्मिला कौल स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान-2020’, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था, जींद, हरियाणा, संस्कार भारती, जींद, हरियाणा द्वारा ‘हिन्दी दिवस’ 14 सितम्बर 2020 के अवसर पर ‘लघुकथा लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता’ में लघुकथा वाचन हेतु ‘प्रतिभागी प्रमाण पत्र’ प्रसारण ः आकाशवाणी, शिलांग, मेघालय से रचनाएं प्रसारित। विशेष ः पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा तीसरी कक्षा पाठ्यक्रम हेतु लघुकथाएं स्वीकश्त। अनुवाद ः विभिन्न लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला में अनुवाद। सम्प्रति ः सह-संपादक ‘शुभतारिका’ ;मासिकद्ध, प्रबन्धक ‘कहानी-लेखन महाविद्यालय’, अम्बाला छावनी अभिरुचियां ः पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, क्रिकेट, नेक कार्यों में रुचि। संपर्क ः 103-सी, अशोक नगर, अम्बाला छावनी-133001, हरियाणा मोबाइल : 9813130512, ई-मेल : urmi.klm@gmail.com