लघुकथा

नाम

‘यार रजनीश, मैं सोच रहा हूँ कि अबकी बार किसी धार्मिक यात्रा पर कोई बड़ा सा लंगर लगवाऊँ, ऐसा लंगर कि लोग देखते ही रह जाएँ और मेरी तारीफ़ करें…,’ सौरभ ने अपनी इच्छा प्रगट करते हुए कहा।

‘तो उससे क्या होगा?’ दोस्त बोला।

‘क्या होगा? धर्म का काम है, और फिर मेरा नाम भी होगा, और क्या…,’ सौरभ ने कहा।

‘कोई फायदा नहीं। लोग आएंगे, खायेंगे-पीयेंगे और चले जाएंगे। कोई तारीफ करेगा, कोई नुक्स निकालेगा, …फिर भूल जायेंगे। …और याद भी रख लेंगे तो कितने दिन? तो उससे फायदा क्या…?’ रजनीश ने कहा, ‘अगर नाम ही करना है और पैसा ही खर्च करना है, तो और भी कई उपाय हैं नाम कमाने के…।’

‘और कौन से भला?’ सौरभ रजनीश की तरफ देखने लगा।

‘गरीब बच्चों को पढ़ाओ, किसी मुसीबत में फंसे, मजबूर या जरूरतमंद की मदद करो। अपने आसपास पेड़-पौधे लगवाओ, गर्मियों के लिए वाटर-कूलर का प्रबंध और सर्दियों में कम्बल इत्यादि बाँटने जैसे काम कर सकते हो। वृद्ध-आश्रम या अनाथ-आश्रम हैं, जहाँ पैसा खर्च किया जा सकता है। बच्चों-बड़ों-महिलाओं को शिक्षित करने या लोगों को चिकित्सीय सहायता प्रदान करने के लिए कैंप लगवा सकते हो…, और ऐसे न जाने कितने और भी छोटे-बड़े कार्य तुम कर या करवा सकते हो, जिनसे न केवल जन-कल्याण और पर्यावरण के संरक्षण जैसे काम होंगे, बल्कि तुम्हें आदर और प्रतिष्ठा भी मिलेगी, यानी तुम्हारा नाम होगा। केवल धर्म के नाम पर चंदा देने या लंगर लगवा देने से कोई लाभ नहीं…, उसके लिए तो और हजारों-लाखों लोग पहले से मौजूद हैं…।’

‘यार तूने तो मेरी आँखें खोल दीं…,’ कह कर सौरभ ने रजनीश को गले लगा लिया।

— विजय कुमार

विजय कुमार

पिता ः श्री रतनलाल माता ः श्रीमती पार्वती देवी जन्म ः 30-03-1974 शिक्षा ः ऑनर्स इन हिन्दी (प्रभाकर), कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से लेखन व पत्रकारिता के कोर्स। लेखन ः देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित। विधाएं ः लघुकथा, सम-सामयिक लेख व अन्य संपादन ः 1. शुभ तारिका (मासिक), सह-संपादक 2. हर वर्ष पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘पूर्वोत्तर वार्ता’ स्मारिका का प्रबन्ध संपादक विशेष ः विकिपीडिया पर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियन द ग्रेट खली दलीप सिंह राणा पर एक लेख ‘महाबली खली ने मचाई खलबली’ सहभागिता ः हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के 65वें अधिवेशन : विश्वभारती, शान्तिनिकेतन पश्चिम बंगाल, दि. 16-18 मार्च 2013 को सक्रिय रूप से भाग लिया। सम्मान ः हिमालय और हिन्दुस्तान फाउण्डेशन, ़ऋषिकेश, उत्तराखण्ड द्वारा पत्रकारिता एवं लेखन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मान 2010 पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी, शिलांग, मेघालय द्वारा ‘केशरदेव गिनियादेवी बजाज स्मृति सम्मान-2013’, ‘श्री जीवनराम मुंगी देवी गोयनका स्मृति सम्मान-2015’, ‘अनूप बजाज युवा लेखक सम्मान-2018’, ‘प्रोग्रेसिव फाउंडेशन’ की ओर से स्मृति चिह्न, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, उ.प्र. की जिला सहारनपुर इकाई द्वारा आयोजित जिला सम्मेलन एवं संगोष्ठी के अवसर पर सम्मान 2014 सखी साहित्य परिवार, गुवाहाटी, असम की ओर से साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान भारतीय लघुकथा विकास मंच, पानीपत, हरियाणा द्वारा माधवराव सप्रे की जयंती के अवसर पर ‘लघुकथा दिवस रत्न सम्मान-2020’, वरिष्ठ लघु कथाकार उर्मिला कौल की स्मृति में लघुकथा उत्सव के अवसर पर ‘उर्मिला कौल स्मृति लघुकथा रत्न सम्मान-2020’, हिन्दी साहित्य प्रेरक संस्था, जींद, हरियाणा, संस्कार भारती, जींद, हरियाणा द्वारा ‘हिन्दी दिवस’ 14 सितम्बर 2020 के अवसर पर ‘लघुकथा लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता’ में लघुकथा वाचन हेतु ‘प्रतिभागी प्रमाण पत्र’ प्रसारण ः आकाशवाणी, शिलांग, मेघालय से रचनाएं प्रसारित। विशेष ः पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा तीसरी कक्षा पाठ्यक्रम हेतु लघुकथाएं स्वीकश्त। अनुवाद ः विभिन्न लघुकथाओं का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला में अनुवाद। सम्प्रति ः सह-संपादक ‘शुभतारिका’ ;मासिकद्ध, प्रबन्धक ‘कहानी-लेखन महाविद्यालय’, अम्बाला छावनी अभिरुचियां ः पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, क्रिकेट, नेक कार्यों में रुचि। संपर्क ः 103-सी, अशोक नगर, अम्बाला छावनी-133001, हरियाणा मोबाइल : 9813130512, ई-मेल : urmi.klm@gmail.com