एक भिखारी की आत्मकथा
उस भिखारी से यह मेरी पहली मुलाकात नहीं थी, इसके पहले भी हम दो बार मिल चुके थे। अपने ही
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Read Moreलवलीन अपने क्लासमेट को किताब की दुकान पर देख छत से नीचे उतरी और दुकान पर पहुँच गई।“क्या ले रहे
Read Moreआजकल सावन मास के कारण मौसम में कभी भी अचानक बदलाव हो जाता है। आज जब घर से निकली तो
Read Moreकई वर्षों पहले पीपल के वृक्ष के नीचे चबूतरे पर टोली बनाकर गुड्डा – गुड़ियों का विवाह करना जैसे; आदि
Read Moreगाँव में हमारा परिवार रहता था। परिवार में मैं, मेरे माता पिता, ताऊ जी ताई जी, उनका बेटा रोहन और
Read Moreरवि और नेहा शादी के बाद पहली बार छुट्टियां मनाने बाहर गए थे। दोनों एक कैफे में बैठे हुए थे,
Read Moreचार दिनों से मैं भारत दूर संचार निगम लिमिटेड के आफिस का चक्कर लगा लगा कर थक चुका था। आज
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