रूपमाला छंद
बचपने की ढल गयी है ,खूबसूरत शाम । करवटें बदली उमर ने ,तज सुखद आराम । खो गए वो दिन
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Read Moreराम कसम इस बार तो, बच्चो करना माफ दिल में भारी टीस है, बतलाता हूँ साफ बतलाता हूँ साफ, शरम
Read More१) चाय बेचकर बन गया, भक्तजनों पी एम । पीने वाले बन गये, जनपद के डी एम।। जनपद के डी
Read Moreअपने – अपने सब लोग कहें, अपनों न दिखौ सिगरे जग माहीं। सब स्वारथ लागि जुहार करें, बस पेड़ ही
Read Moreदिए जलाएँ नेह के , बिन बाती बिन तेल। दीवाली हर रोज़ है , जब हो मन में मेल। जब
Read Moreचंदा चमकता है गगन में , प्रेम पर बलिहार है । करवा लिये बैठी सुहागिन कर रही मनुहार है ।।
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