दुर्मिल सवैया =========
दुर्मिल सवैया ===आठ सगण ११२ x8 के संयोग से बने छ्न्द को दुर्मिल सवैया के नाम से जाना जाता है
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Read Moreकुण्डलिया छंद:- एक बला की सादगी, दूजे चंचल नैन। दोनों मिलकर लूटते, कर देते बेचैन।। कर देते बेचैन, तुम्हारे बिंदिया,
Read Moreरहूँ तुझ आपनि जानि प्रिए, तुम बूझत नाहिं बुझावत हो। अंसुवन काढ़ि निकारि जिया कस नैनन नेह लगावत हो॥ ऊष्मावत
Read Moreचौपाई छंद— बदल गया है भारत देश! जबसे हुआ पश्चिमी भेष! रोज झेलते दिल पर ठेस। क्यूँ बदला अपना
Read Moreतुझसे लगाई प्रीत मैंने, झाँक तो अंतर प्रिये। हूँ ख्वाब तेरी आँख का मैं, हूँ नहीं कंकर प्रिये । थामा
Read More(1) वृन्दावन अरु अवध में, ऐसे संत विरक्त, उनके चरण सरोज रज, मस्तक धारे भक्त | मस्तक धारे भक्त, भेद
Read More1.) कुण्डलिया के छंद में कुण्डलिया के छंद में, कहता हूँ मैं बात अंत समय तक ही चले, यह प्यारी
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