मन का मौसम
मन का मौसम ठीक नहीं तो होठों पर भी गीत नहीं।अरसा हुआ हृदय के पथ से गुजरा कोई मीत नहीं।
Read Moreमन का मौसम ठीक नहीं तो होठों पर भी गीत नहीं।अरसा हुआ हृदय के पथ से गुजरा कोई मीत नहीं।
Read Moreगर्मी निशदिन बढ़ती जाए,व्याकुल मन दिन रैन।हर पल मेरा मन घबराए, पाऊँ कहीं न चैन।। सकल सृष्टि की महिमा न्यारी,उचित
Read Moreसमाधान तुम खुद बन जाओ मानवता जब भटक रही हो, आगे बढ़ कर पथ दिखलाओ। कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान
Read Moreपीर विश्वासघात की ऐसे ।खुला आकाश, वस्त्र जर्जर हो,और अगहन की रात हो जैसे। जेठ की जलती दोपहर जैसे।महामारी का
Read Moreवह दौर पुराना बचपन का, याद आज भी आता है,छोटे घर संयुक्त परिवारों, याद आज भी आता है।गर्मी की शामों
Read Moreदाना – पानी यहीं मिले सबफिर भी नहीं सुहाए भारत। पौध यहाँ की शूल बन गईजाकर पार देश को धोखाचुभते
Read Moreमेरी हर बात को हँसी में ना उड़ाया करों,अपने ज़ज़्बात को कभी न छुपाया करो।लबों की खामोशी भी सब कुछ
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