गीत/नवगीत

चरित्र की परिभाषा

क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ नहीं कुछ भी आता है। कागज के टुकड़े से व्यक्ति, चरित्रवान बन जाता है।। कदम-कदम पर झूठ बोलता। रिश्वत लेकर पेज खोलता। चरित्र प्रमाण वह बांट रहा है, जिसको देखे, खून खोलता। देश को पल पल लूट रहा जो, जन सेवक कहलाता है। क्या चरित्र की परिभाषा है? समझ […]

गीत/नवगीत

सैनिकों को प्रणाम

देश के वीरों तुम्हारे सामने नतमस्त हम हैं दे दी आहूति तन की जिसने दिव्य है पावन अमर है सरहदों पर जब भी छाई युद्ध की काली घटाएं अग्नि के आगे तुम्हारी नमन करता दिवाकर है ! आस्मां भी घुटनों पे जिनके समक्ष नतमस्त होता, और दिशा मदमस्त हों जिनको विजय के हार डाले, सर […]

गीत/नवगीत

गीत

थाम तूलिका पतझड़ लिखता , नवल सृजन की गाथा प्रियतम । विटप सजेंगे नव पातो से , सुखद दृश्य उपवन में प्रियतम ।। सघन रात्रि के बाद सदा ही दमके स्वर्णिम किरणें दिन की । वसुधा नवल वसन फिर धरती पूर्ण हुई आशा ज्यों मन की ।। उसपल ऋतु होते परवर्तित उगे शाख पर कोंपल […]

गीत/नवगीत

गीत

कहाँ कहा कब हमने यह कि, हम पर विपदा भारी है कहाँ कहा कब हमने यह कि, जीवन की दुश्वारी है कहाँ कहा कब हमने यह कि, सारी भूमि हमारी है कहाँ कहा कब हमने यह कि, अब जीवन लाचारी है युगों-युगों से मात-पिता ने इस धरती को सींचा है सुंदरतम भारत माता का, चित्र […]

गीत/नवगीत

होली गीत “छाया है उल्लास, चलो होली खेलेंगे”

मन में आशायें लेकर के,आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे।मूक-इशारों को लेकर के,आया है विश्वास, चलो होली खेलेंगे।।—मन-उपवन में सुन्दर-सुन्दर, सुमन खिलें हैं,रंग बसन्ती पहने, धरती-गगन मिले हैं,बाग-बहारों को लेकर के,छाया है उल्लास, चलो होली खेलेंगे।—सरिता का सागर में, ठौर-ठिकाना सा है,प्रेम-प्रीत का मौसम, बड़ा सुहाना सा है,शोख नजारों को ले करके,आया है दिन खास, […]

गीत/नवगीत

गीत “कंचन का गलियारा है”

गीत “कंचन का गलियारा है”—वासन्ती परिधान पहनकर, मौसम आया प्यारा है।कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है।।—तितली सुन्दर पंख हिलाती, भँवरे गुंजन करते हैं,खेतों में लहराते बिरुए, जीवन में रस भरते हैं,उपवन की फुलवारी लगती कंचन का गलियारा है।कोमल-कोमल फूलों ने भी, अपना रूप निखारा है।।—बीन-बीनकर तिनके लाते, चिड़िया और कबूतर भी,बड़े जतन से […]

गीत/नवगीत

गीत “प्यार के परिवेश की सूखी धरा”

होश गुम हैं, जोश है मन में भरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—चल पड़ा है दौर कैसा, हर बशर मगरूर है,आदमी की आदमीयत आज चकनाचूर है,हाट में मिलता नहीं सोना खरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—खो गया है गाँव का वातावरण,हो गया दूषित शहर का आवरण,जी रहा इंसान होकर अधमरा।प्यार के परिवेश की सूखी धरा।।—अब […]

गीत/नवगीत

खुद की राह बनाऊँगी

जीवन साथी चला गया, चाह जीने की चली गई सिर के बाल झड़ गए, चेहरे की रौनक खो गई। बहु-बेटी कहती हैं मुझसे, रंगदार कपड़े पहनो माँ पापा की छवि बिंदिया में, उसको न मिटाओ माँ। बेटा भी कहता है मुझसे, पहचान खुद की न भूलो आँसू कमजोर बहाते हैं, उनको मत बरसाओ माँ। दुख […]

गीत/नवगीत

मोहब्बत

मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है… मिले थे जब हम तो क्या कहें, तुम्हारी अदाओं का असर! सूरत दिखाकर यूँ छुप जाना , तुमने तो बस शरारत की है! पर मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है! तुम्हारे बाद याद करके तुम्हें, फिर अकेले में मुस्कुराना! तुम्हारा कल आने का वादा, पर फिर लौट […]

गीत/नवगीत

मेरी दिवानी बन जा

मैं तो हूँ ही दिवाना तेरा तु भी मेरी दिवानी बन जा वक्त गुजर कर याद बन जाता हैं, तेरी यादों से सजी हो ऐसी एक कहानी बन जा | सुना हैं जी लेते है लोग यादों के सहारे जीवन अपना मैं भी चाहता हूँ तेरी तस्वीर सीने से लगा कर राते जगना | दुनिया […]