रहे दास्तां यदि जीवित तो,पाती तब वह मान है। गौरव में जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर, जो देता है सम्बल पेट है भूखा,तो दे रोटी, दे सर्दी में कम्बल अंतर्मन में है करुणा तो,मानव गुण की खान है। गौरव में जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।। धन-दौलत मत करो इकट्ठा, […]
गीत/नवगीत
लड़कियों सीखो करना वार
तुम ही मात, पुत्री, भगिनी, सृष्टि का आधार, कब तक तुम खामोश रहोगी,सहोगी अत्याचार। लड़कियों हाथ गहो तलवार, लड़कियों सीखो करना वार। घर आंगन में खेली, मेरी नन्ही राजकुमारी मां बाप की गुड़िया रानी, भाई को जान प्यारी। घर से निकली तो रस्ते में ,हुआ है अत्याचार लड़कियों सीखो करना वार। कभी कर दिया चलती […]
सरगम
तेरे प्यार में सजना , तेरी सजनी संँवर रही..२ सात स्वरों से सजा है संगीत , सात फेरों से सजा है जीवन, सात जन्मों तक मिलें सजना तेरा प्यार तेरे प्यार में सजना ,तेरी सजनी सज रही , तेरे प्यार में सजना तेरी सजनी संँवर रही..2 तेरे प्रेम के धुन में, घर आंगन चहके, खिल […]
शोभा है गणतंत्र की
कर्म, विज्ञान, विश्वास है, निराशाओं का अंत। शोभा है गणतंत्र की, खिला हुआ है आज बसंत।। गणतंत्र नहीं सत्ता तक सीमित। सामूहिक हित में, हैं सब बीमित। गण के तंत्र को जीना सीखें, क्षण-क्षण इसके लिए ही जीवित। बासंती रंग में रंग कर के, वसुधा हित हम बनें हैं संत। शोभा है गणतंत्र की, खिला […]
बासंती ऋतु
कुहरा छँटा, खेत सरसों में बासंती ऋतु आयी नव पल्लव फिर सजे पेड़ पर यौवन की सुधि छायी हरे भरे गेहूँ के खेतों में झूमे पुरवाई बारिश ने छोटे-छोटे छीटों से छौंक लगाई रंगों ने आकर चुपके होली की बात बताई कुहरा छँटा, खेत सरसों में बासंती ऋतु आयी मेंहदी लगी दुल्हनियाँ छीले हरी मटर […]
“आया बसन्त-आया बसन्त”
सबके मन को भाया बसन्त।आया बसन्त-आया बसन्त।। उतरी हरियाली उपवन में,आ गईं बहारें मधुवन में,गुलशन में कलियाँ चहक उठीं,पुष्पित बगिया भी महक उठी,अनुरक्त हुआ मन का आँगन।आया बसन्त, आया बसन्त।१।—कोयल ने गाया मधुर गान,चिड़ियों ने छाया नववितान,यौवन ने ली है अँगड़ाई,सूखी शाखा भी गदराई,बौराये आम, नीम-जामुन।आया बसन्त, आया बसन्त।२।—हिम हटा रहीं पर्वतमाला,तम घटा रही रवि […]
गीत – आज़ादी के मतवाले
भारत माँ की आज़ादी को,बहुत यहाँ क़ुर्बान हुए। गोरों से लड़कर के सारे,देशभक्त संतान हुए।। हमने रच डाली नव गाथा, लेकर खडग हाथ अपने नहीं हटाये बढ़े हुये पग, पूर्ण किए सारे सपने माटी को निज माथ लगाकर,सारे मंगलगान हुए । गोरों से लड़कर के सारे,देशभक्त संतान हुए।। शत्रु नहीं बच पाया हमसे, पूतों ने हुंकार भरी भगतसिंह […]
थोड़ी जरूरी दूरी है करीब आने के लिए
वो कहते हैं हमसे दे जाओ कोई निशानी बिन तेरे हमको है अब कुछ दिन बितानी आई थी जब तो बीती थी सोलह सावन संग तेरे ही तो बीती है सारी जवानी| अब भी कहते हो दे जाओ कोई निशानी? ये दरों दीवारें और ये आंगन ये चौखट उन पर स्पर्शों की सभी तरफ है […]
बागेश्वर सरकार
मची खलबली,मचा बवंडर,धर्महीन शैतानो में, बागेश्वर सरकार हमारे गूंज रहे हैं कानों में, हुआ सनातन शंखनाद,तुम उलझे रहो पहेली में, रामचरित अवधी में था,अब गरजा है बुंदेली में, ना तो धन से अर्जित है,ना मिथ्या कोई प्रसिद्धी है, खुले आम जो सिद्ध हुई वो बालाजी की सिद्धी है, यह सिद्धी जब निकल पड़ी हिन्दू पहचान […]
गीत
इतनी सुंदर भोर, का आनंद ले लो पक्षियों की गूंज से, स्वप्न बुन लो सूर्य की लालिमा, को तो निहारो हो गयी सुबह,कुछ सोचो विचारो। स्वप्न की दुनिया में, कब तक ऐसे तू , विचरण करे गा हकीकत से दूर, कब तक ख्वाबों की, माला बुने गा हो गया, जग में उजाला जागो तुम , […]