ग़ज़ल
लब गर ख़ामोश हैं तेरे,तो आंखों से पढ़ लेंगे।तुम्हारे होंठों पर हम अपने होंठों से लिख देंगे।न कोई गिला हमें
Read Moreयाद करके ज़ालिम और मुझको सज़ा न दे।तेरे वादों का ऐतबार नहीं मुझको दग़ा न दे।पुरानी मुहब्बतों के चिराग़ फ़िर
Read Moreगलियों में तेरी क़दम रखूंगा न कभी मैं भीअहद से अपने जो मुकर जाओ किसी दिन।ये तिशनगी बुझने का नाम
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