गीतिका/ग़ज़ल *रवि रश्मि 'अनुभूति' 08/05/202508/05/2025 0 Comments ग़ज़ल सभी झूमते और गा कर चले हैं।खुशी आज हम तो मना कर चले हैं।। इधर आँख कोई उठाये न अब।कसम Read More
गीतिका/ग़ज़ल गौरीशंकर वैश्य विनम्र 08/05/202508/05/2025 0 Comments राष्ट्र प्रथम सदा जीत का दम रखते हैं।मन में राष्ट्र प्रथम रखते हैं। सभी समस्याएँ निपटालेंअपने को सक्षम रखते हैं। शासन – Read More
गीतिका/ग़ज़ल कैलाश मनहर 08/05/202508/05/2025 0 Comments ग़ज़ल अँधेरी रात और जंगल से .गुज़रना मेराकोई इंसान जो मिल जाये तो डरना मेरा कभी चढ़ाइयाँ चढ़ना ये काली घाटी Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 07/05/202507/05/2025 0 Comments ग़ज़ल देख ली रात उसने सिंदूरी,देश की ज़ात उसने सिंदूरी। काम आई न खोखली धमकी,पाई है घात उसने सिंदूरी। जीत के Read More
गीतिका/ग़ज़ल महेंद्र कुमार वर्मा 07/05/202507/05/2025 0 Comments छूट गया दिल ही तो था टूट गया ,अपने हाथों छूट गया। जिस नसीब पे नाज रहा ,वही राह में रूठ गया। Read More
गीतिका/ग़ज़ल वाई. वेद प्रकाश 07/05/202507/05/2025 0 Comments ग़ज़ल खुद को खुद में रहने दो,थोड़ा- बहुत विचरने दो।लोग कहां पहचानेंगे,चेहरा उसको रंगने दो।खुशबू जिसमें बसती है,उसको जरा महकने दो।सूरज Read More
गीतिका/ग़ज़ल प्रीती श्रीवास्तव 07/05/202507/05/2025 0 Comments ग़ज़ल मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए।दिल की किताब हर किसी को मत पढ़ाइए।। बदनाम हो न जाएं कहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल डॉ. मंजु लता Noida 04/05/202504/05/2025 0 Comments ग़ज़ल घर क्या छुटा दर-ब-दर हो गएपराए क्या अपने भी दूर हो गए गांव अब शहर होता चला गयालोगों के भोलेपन Read More
गीतिका/ग़ज़ल *रवि रश्मि 'अनुभूति' 03/05/202503/05/2025 0 Comments ग़ज़ल सभी झूमते और गा कर चले हैं।खुशी आज हम तो मना कर चले हैं।। इधर आँख कोई उठाये न अब।कसम Read More
गीतिका/ग़ज़ल डॉ. ओम निश्चल 03/05/202503/05/2025 0 Comments ग़ज़ल प्लेटफार्म पर एक झलक दिखला कर चली गईजैसे कोई उदासी हाथ हिला कर चली गई। कुछ चहका कुछ महका मन Read More