ग़ज़ल
सोच के साथ जब अमल आया।खुद ब खुद रास्ता निकल आया। सूर्य उल्फ़त काजबनिकल आया।मोम सा आदमी पिघल आया। काम
Read Moreगया बचपन बचपन की यादें न गई।तू तो चला गया तेरी परछाई ना गई।बचपन की यादें हैं, मैं वहां भी
Read Moreयाद करके ज़ालिम और मुझको सज़ा न दे।तेरे वादों का ऐतबार नहीं मुझको दग़ा न दे।पुरानी मुहब्बतों के चिराग़ फ़िर
Read Moreजाने कहां खो गया वो मेरे दिल में बसेरा करके।दिल मानता नहीं कहता है उसको बुलाया जाए।हंसी पल वो बचपन
Read Moreचाहूं खिलता हो जीवन, बरगद छाया हो शीतल। हिल-मिल रहते सकल सुजन, बहती धारा कल-कल कल।। थामूं माता का आँचल,
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