ग़ज़ल
इश्क़ बदहाल हज़ारों का हैऔर ये वक़्त बहारों का है दिल बुझा और नज़र फीकी-सीपर चटक रंग नज़ारों का है
Read Moreयाद करके ज़ालिम और मुझको सज़ा न दे।तेरे वादों का ऐतबार नहीं मुझको दग़ा न दे।पुरानी मुहब्बतों के चिराग़ फ़िर
Read Moreगलियों में तेरी क़दम रखूंगा न कभी मैं भीअहद से अपने जो मुकर जाओ किसी दिन।ये तिशनगी बुझने का नाम
Read Moreतस्वीर के रंगों की तरह,यह धरती रंगी अजूबा है।चित्रकार है एक खुदा ही उस के सिवा न दूजा है।हिंदी मुस्लिम
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