ग़ज़ल
खुद परस्ती की बात करता हूं।तेरी हस्ती की बात करता हूं।बुत परस्ती की बात करता हूं।अपनी हस्ती की बात करता
Read Moreसइयां अब तो हैं कोतवाल, वाह भाई वाह,उछल रहे सब नटवरलाल, वाह भाई वाह। हरिश्चंद्र के पूत बने थे जो
Read Moreतूफ़ानी मौजों से कह दो वो ख़ुद मिलने आती हैहिंदुस्तानी कश्ती है बस इतना तआरुफ़ काफ़ी है काँटों रस्ते से
Read More