ग़ज़ल
ज़ख्मी जब भी ईमान होता है, सब्र का इम्तिहान होता है सच का साथी नहीं यहां कोई, मुखालिफ ये जहान
Read Moreमुस्कुराना इक अदा है मुस्कुराते जाइए अपने संग संग औरों के भी गम भुलाते जाईये | बहुत आसां है यहाँ
Read Moreग़ज़ल/गीतिका अच्छे कर्मो का होता अच्छा ही परिणाम जिसने किया बुरा काम वही भोगा अंजाम | मानव जन्म मिला
Read Moreतनाव से ही सदा टूटता समाज कोई लगाव से ही सदा फूलता रिवाज कोई पढ़ेगी कल नई पीढ़ी उन्हीं के
Read Moreबह्र, 2122, 2122, 2122, 212 मोहना तोरी बंसी है, चाह चित मोरी बसी चोर जाते हो कन्हाई, राग सखियों की
Read Moreमैं हूँ शरण तेरी मुझे माँ शारदे वरदान दो मैं मूढ़ हूँ माँ आज मुझको भी दया का दान दो
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