ग़ज़ल : है सोमरस की पियाली ग़ज़ल
मुझे भा गई, मेरे साक़ी ग़ज़ल कि है सोमरस की पियाली ग़ज़ल पिरोकर वो शब्दों में अनुभूतियाँ मेरी सोच को
Read Moreमुझे भा गई, मेरे साक़ी ग़ज़ल कि है सोमरस की पियाली ग़ज़ल पिरोकर वो शब्दों में अनुभूतियाँ मेरी सोच को
Read Moreकितनी राहत है चाहत में तेरे तुम्हें याद करने से ही हर ग़म दूर हो जाता है दर्द काफ़ूर हो
Read Moreआँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ, आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ . माँ का रोना
Read Moreजब दर्दे-दिल गाने निकले. अपनों में बेगाने निकले. एक ज़रा सी बात कही थी, जाने कितने माने निकले. ख़ुद न
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