निगाहो का वार
जब निगाहो का वार होता है जिस्म अक्सर शिकार होता है चैन आता नहीं कहीं पर भी तीर जब दिल
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Read Moreमैं कहता हूँ सपने अपने सजाया करो मगर रेत पर यूँ महल मत बनाया करो !! दिखावा कभी भी सच
Read Moreरस्मो रिवाज कौन निभाता है आजकल। ये बोझ भला कौन उठाता है आजकल॥ खुदगर्जियों का दौर है खुद में ही
Read Moreउठ रहा बिन आग के ही जब धुआं क्या कीजिये। वहम की होती नही कोई दवा क्या कीजिये॥ धडकनें तो
Read Moreखोया है कितना, कितना हासिल रहा है वो अब सोचता हूँ कितना मुश्किल रहा है वो जिसने अता किये हैं
Read Moreदिल चाहता है मंत्रमुग्ध फिजा देख के गीत लिखूं तुम बिन पड़ा अधूरा आ जाओ तो मनमीत लिखूं वसंती मस्तियों की
Read Moreनिगाहों में सबके निठल्ला रहा है हुनर वही सभी को सिखला रहा है बताएं क्या कैसी वो सोहबत रही छोड़
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