अन्तर्मन का दीप जलायें
दीपों से अंधकार न मिटता, अन्तर्मन का, दीप जलायें। प्रतीकों को छोड़ बर्ढ़े अब, स्वच्छता का, अलख जगायें। अविद्या का
Read Moreदीपों से अंधकार न मिटता, अन्तर्मन का, दीप जलायें। प्रतीकों को छोड़ बर्ढ़े अब, स्वच्छता का, अलख जगायें। अविद्या का
Read Moreतुम हो जब तक तभी तक आनंद मेरा,तुम आई तो जीवन में आया नया सबेरा ।थकी -थकी सी जिन्दगी दर्द
Read Moreनारी को नर प्राण से प्यारा, नर को भी, नारी प्यारी है। एक सिक्के के दो हैं पहलू, एक नर
Read Moreथाल सजाकर बहन कह रही,आज बँधालो राखी।इस राखी में छुपी हुई है, अरमानों की साखी।।चंदन रोरी अक्षत मिसरी, आकुल कच्चे-धागे।अगर
Read Moreमैं तिरँगा तीन रंग का चौथे रंग में रंग जाता हूँलेकर लहू लाल रंग लाल की बलि चढ़ाता हूँकोख कलाई
Read Moreशहीदों की कहानी, सुनो मेरी जुबानी।देश के खातिर जिसने, दे दीअपनी जिंदगानी।आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।शहीदों की ……………..
Read Moreहो सका, तो हम,कल फिर मिलेंगेअपनी कहेंगे तो,कुछ उनकी सुनेंगेजिंदगी में फिर से, नये रंग भरेंगेहो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।
Read Moreकाले -भूरे बादल छाएशुभ सावन सरसाया है। विटप झूमते अंबर के तलहवा चली पुरवाई है।दिन में मानो रात हो गईहोती
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