गीत : हे मानव! ना मोह करो तन का
हे मानव! ना मोह करो तन का है माटी से उपजा ये शरीर, माटी में मिलने को अधीर, क्यों आए,
Read Moreहे मानव! ना मोह करो तन का है माटी से उपजा ये शरीर, माटी में मिलने को अधीर, क्यों आए,
Read Moreबिन बुलाए कभी चला आता, बुलाने पर भी कभी ना आता; रखता है वह अजीब सा नाता, देख सुन उर
Read Moreउतर आकाश से थे जब आए, कहाँ पहुँचे हैं समझ कब पाए; पूछने पर ही जान हम पाए, टिकट का
Read Moreगहन अमावस में प्रकाश से गेह खिले हैं। त्याग-तपस्या की बाती को स्नेह मिले हैं। जगमग सजी दिवाली हर घर
Read More(सिविल कोड और तीन तलाक पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा संविधान का अपमान और कुतर्क किये जाने पर उसको
Read Moreराधा सयानी संग श्याम खेलि रहे खेल लरकइयाँ,,,, धाय चढ़े पेड़ जाके लुके डालिन की ओट छलिया कूक रहे ,कोकिल
Read Moreतान के सीना ‘ कदम मीलाके ‘ चले वतन के रखवाले देश की खातिर जीनेवाले ‘ देश प्रेम के मतवाले
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