गीत- हमको अपने पर फैलाने हैं
बाधायें तो खड़ी राह में सीना ताने हैं. नीलगगन तक हमको अपने पर फैलाने हैं. गोमुख से गंगासागर तक जाती
Read Moreबाधायें तो खड़ी राह में सीना ताने हैं. नीलगगन तक हमको अपने पर फैलाने हैं. गोमुख से गंगासागर तक जाती
Read Moreना ये जमी होगी ना आसमा होगा । यहाँ जो भी इश्क करे उसका ना ये जहाँ होगा । ना
Read Moreबारिश-धूप-हवा जैसी सौगातें खत्म न होतीं देखो धरती से अम्बर की बातें खत्म न होती. कितनी दूर धरा है नभ
Read Moreहमने दिल को बनया है घर आपका, बांहों के दर खुले हैं। हम तुम्हारे हुए तुम हमारे हुए, इस ज़हां
Read Moreपपीहा मन प्यासा ही तरसा। सब का सावन आया मेरा मेघा ना बरसा॥ पपीहा मन प्यासा ही तरसा….. सहरा की
Read Moreकोई अमीर है, कोई गरीब है बस अपना अपना नसीब है मुलाकात अपनी ना हो सकी तू भी फासलों पे
Read Moreजनता के मौलिक अधिकारों का जब होता भक्षण है स्वार्थ साधने हेतु जब कुछ करते उसका रक्षण है जात पात में
Read Moreखोलें दिल के दरवाजे कर आँखें बंद लिखें हम. समा न पाये जो शब्दों में ऐसा छंद लिखें हम. नभ
Read Moreतेरे ही वास्ते हर रोज मैं सौ बार मरता हूँ, तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ। माँ
Read Moreभारत माँ हम शर्मिंदा हैं कैंपस में लगते नारों पर घर ही में छुपे गद्दारों पर भाईयों के दिल में
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