गीत – मैं जन जन की भाषा हूँ
(राष्ट्रभाषा दिवस पर, सिनेमा और सियासत से लेकर संस्कारों तक हुई हिंदी की दुर्दशा को व्यक्त करती मेरी नयी कविता)
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Read Moreसृष्टि के हर अंश में तेरा रूप नज़र है आता, कहाँ छुपाऊँ तुझको प्रियतम समझ नहीं मैं पाता। मुसकाओगी तो
Read Moreसबकुछ जी लिया हमने पर वो प्यार नहीं आता मस्ती से गुजरता था जो वो इतवार नहीं आता सुबह सुबह
Read More(“बहारों फूल बरसाओ” के अंदाज़ में बिहार में शहाबुद्दीन के स्वागत में ये पंक्तियाँ पढ़िए और फिर रफ़ी के अंदाज़
Read Moreप्यार से प्यारा, इस धरती पर सुंदरतम उपहार नहीं है, कह दो कि तुम्हें प्यार नहीं है? प्यार की लहरें
Read Moreखिंच के अपना खुद का फोटो दुसरो को देखावे ऐसा करके पता नहीं वो मजा कौन सा पावे ।। अंजाना
Read Moreमत बाँधो दरिया का पानी बहने दो अब लहर-लहर को ॥ किसे दिखाऊँ किसे बताऊँ अंतर गहरे घाव बहुत हैं
Read Moreमन से मन मिलना अब सबसे मुश्किल है ॥ अपनों से चोरी रखते गैरों से मिलते भेद-भाव की खेती कर, हैं
Read Moreउसने कहा था, जब बरसेगा आसमान से पानी याद तुझे करती होगी इक, तेरी दरस दीवानी। मेरी पायल की रुनझुन, बूँदों की
Read Moreसरहदें ही नहीं सुलग रहीं लगी है आग अंदर भी। बेक़सूर को आतताइयों ने जख़्म दिये हैं गहरे हौसले बढ़े
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