दोहे
राजनीति के खेल में, नारी का अपमान। अपशब्दों ने फिर यहाँ, मार लिया मैदान।। तू मुझको दो चार कह, मैं
Read Moreज्ञान विभूषित गुरु कहाँ, खोजत फिरे दिनेश त्रेता में कुंभज़ मिले, शिक्षक बने महेश राम कथा कलि मल हरण, उपजा
Read Moreशान शौकत दिखाना चलन हो गया आँख से नीर जैसे हवन~~हो गया सज रही डोलियाँ जल रही बेटियाँ आज इन्सानियत
Read Moreसाँप पाल कर बना संपेरा, काला दिवस मनाता है पाक नाम नापाक इरादा, कैसे पाक कहाता है दशहत गर्दो का
Read Moreजिन्दगी की क्या खता, कि हम लोग बिछड़ गये। आप हैं वहाँ, हूँ मैं यहाँ ये किस मोड़ पर आ
Read Moreनारी तू नारायणी, तुझसे जग विस्तार । इस जग मे तेरा हुआ , क्यों जीना दुश्वार ॥ गर्भपात करवा रहे
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