गीत
मुसलमान है, धर्म नीति को कब इनने स्वीकारा है। सत्ता के कारण सदैव इनने अपनो को ही मारा है। ये
Read Moreअक्सर मौन हो जाती हुँ विचारों के उलझे प्रश्नों से जैसे मन को डसता हुआ सवाल और घायल होता जवाब
Read Moreठहराव नही अच्छा ‘मनवा’, सम्भव है, पुनः छले जाओ। स्मृतियाँ न पीछा छोड़ेंगी, चाहे तुम कहीं चले जाओ। पर तुमने
Read Moreबाँहें पकड़ी ना जाने दूं ! राहें रूठी ना माने तू ! दुनिया तेरी मेरी दुश्मन ; कहां चल
Read Moreसच्चे रिश्तें को ढूंढने निकल एक घुमक्कड़ पथिक. जब से रूप बदला है उसने . उसकी काबिलियत पर उंगलियां उठानी
Read Moreकभी टेढ़ी , कभी सीधी , कभी मीठी है ज़िन्दगी ! बहे कलकल , अविरल , बड़ी निश्छल ज़िन्दगी
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