वर्ण पिरामिड : दुःख पीड़ा
1 म्हा दृशा अंकुशा स्व तराशा चित्त तलाशा तन्हा पीड़ा नाशा मैं मिटा हम हुआ 2 ही स्पर्शा वागीशा प्राप्तयाशा
Read More1 म्हा दृशा अंकुशा स्व तराशा चित्त तलाशा तन्हा पीड़ा नाशा मैं मिटा हम हुआ 2 ही स्पर्शा वागीशा प्राप्तयाशा
Read Moreअगर कहीं भी बंधु, चिरागों पर चर्चा हो भव-भूतल के बिसरे कोनों पर चर्चा हो व्यर्थ विलाप, निराशा, रुदन, विसर्जित
Read Moreचँद सिक्कों की खनक में ईमान का स्वर खो रहा है भ्रष्टाचार की अँधेरी गलियों में मानव निज घर खो
Read Moreमैं असीमित होना चाहती हूं, सीमित होना मेरी फितरत नहीं, मैं सकारात्मक होना चाहती हूं, नकारात्मक होना मेरी फितरत नहीं,
Read Moreजहाँ होते थे पहले लहलहाते खेत आज वहां कंक्रीट के जंगल हैं पहले वहां खुले विचरते थे कुछ दुधारू पशु
Read Moreमाथे पर पड़े बलों ने कुछ और ही बताया और वह छवि मिटा दी जब तू था मुस्कुराया क्यूँ
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