ग़ज़ल (किसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता है)
ग़ज़ल (किसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता है) दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है
Read Moreग़ज़ल (किसी के हाल पर यारों,कौन कब आसूँ बहाता है) दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है
Read Moreदिले-नादां तुझे समझाऊं कैसे गमों के दौर में मुस्कुराऊं कैसे नगमा -ए-जिंदगी गाना है मुझे बिन साज़ मगर गुनगुनाऊं कैसे
Read Moreरुक्मिणी के मन की व्यथा ================ करते हो अपने मन की सदा कभी मेरे मन की भी कर लो ना
Read Moreज़िन्दगी तूने दिए , ज़ख्म बहुत, पर हौसला न मेरा , तोड़ पाई है । माना की हैं , दुश्वारियां
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