महज कहानी है
आइए! एक और दिवस की औपचारिकता निभाते हैंराष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाते हैं।क्योंकि बस यही तो हमारे हाथ में हैपरिवार
Read Moreआइए! एक और दिवस की औपचारिकता निभाते हैंराष्ट्रीय -अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाते हैं।क्योंकि बस यही तो हमारे हाथ में हैपरिवार
Read Moreअभी-अभी हाँफते हुए यमराज मेरे पास आयाजाने क्यों था वो बहुत घबराया,मैं कारण पूछा – तो पहले उसने पानी माँगामैंने
Read Moreआ विराजो यहाँ,छोड़ करके जहान;हृदय मेरे बसो,छेड़ मर्मर ध्वनि! है स्वचालित जगत,माया विचरा रहा;मोह वश बह रहा,कुछ किए जा रहा!
Read Moreकिसने बेची थी, ये हवाओं की खुशबू,किसने कांपती जड़ों में, जहर घोला था,किसने गिरवी रखी थी, मिट्टी की सुगंध,किसने अपने
Read Moreसारी दुनिया को धुंधला करके,जिसे तुम फोकस करोगे,वो एक दिन तुम्हारे ही लम्हों को,अलग फ्रेम में कैद कर देगा। जो
Read Moreवो जो साड़ी के किनारे में,सिहरती हैं चुप्पी की नर्म लहरें,वो जो पायलों में खनकती हैं,अधूरे स्वप्नों की डरी हुई
Read Moreरजत के धागों से बुनीसमय की श्वेत चादर,प्रशांत नभ की मौन गाथा,अतीत की बिखरी मुस्कान। सांसों की तूलिका से,अमिट रेखाएं
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