कविता

कविता

तुझे मै यूँ निहारता रहा

तुझे मै यूँ निहारता रहा।तू आगे बढ़ती रही ,मै अपने अल्फाज़ सभालता रहा।तू मुझे नजरअंदाज करती रही,मै बिखरता रहा।तेरे हाथ

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