स्वामी विवेकानन्द जी
ज्ञान का उजियारा फैलाया! भारत का भगवा फहराया! देश का अपने गौरव बड़ाया! ज्ञान का दीप ऐसा जलाया! भूल न
Read Moreज्ञान का उजियारा फैलाया! भारत का भगवा फहराया! देश का अपने गौरव बड़ाया! ज्ञान का दीप ऐसा जलाया! भूल न
Read Moreकर्मनाशा नदी —- •••••••••••••••••• मेरे गाँव के बगल से गूजरी, कर्मनाशा नदी—- जब मुझे ख्याल आया, एक नदी है समझ
Read Moreअच्छी तरह याद है इतवार था उस दिन… कबाड़ी वाले की आवाज गली में गूंज रही थी घर के कबाड़
Read Moreजल- जलके माचिश की तीलियाँ कर देतीं रौशन घर, मंदिर ‘चौबारे आबाद कर देतीं घर घर का चूल्हा वे तो
Read Moreमेरी कविता ‘ऐ ज़िंदगी’ की शृंखला में अगली कड़ी…. ऐ ज़िंदगी आज देखा तुझे घने कोहरे के बीच अर्धनग्न घूमते
Read More@जीव ही जीव के चक्कर में@ •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• एक जीव ही जीव के चक्कर में पड़ा हुआ है। पानी के बीच
Read Moreदेखती रहती हरदम खिड़की से पार हाड़-माँस की पुतली को पिटती हुई, घर नाम की इकाई को बचाने की जद्दोजहद
Read Moreफिज़ाओं में आज नमी -सी है .. इन्हें भी एहसास है शायद मेरी उदासी-का जो गहरी पसरी है मेरे भीतर
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