ख़्वाबों से रिश्ते
इशारों से जब दिल की बात बताए लोग कहते है ये अदाओं का जमाना है परिंदे ने जब प्रेम -पंख
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Read Moreभीख में तूझसे मांग रही हूं सबका जीवन दान बनी भिखारन तेरे दर पे दया करो घन श्याम । गरज-गरज
Read Moreकश्ती भी नहीं बदली, बदला नहीं दरिया। जज्बा भी नहीं बदला, हम डुबते रहे यहाँ। बने रहे मुसाफिर, हम सदा
Read Moreवक्त- बे- वक्त क्यों याद आते गये। रुह- में- रुह क्यों वो मिलाते गये। थी अनजान सी वो लम्बी डगर
Read Moreभागते-बौखलाते शहर में घन-घनाते फोन कॉल्स के बीच भी मार्बल से आच्छादित फर्श से बची मिट्टी में ओस की नमी
Read Moreदेखो आज कलियुग, मानव से प्यार नहीं, कौन ऐसा सुखी है, संसार में बताइए । काम-क्रोध-लोभ अहंकार से जलते सब,
Read Moreना जाने क्यो मन अनमना सा है उतर रहा है भीतर तक सन्नाटा कुछ मायुसी बुन रही हुं बेवजह के
Read Moreहे पडोसी मुल्क किस गरूर में चूर रहते हो तुम आये दिन कर बैठते हो कोई नया ही दुसाहस कभी
Read Moreकहाँ पता था चलते हुए यूँ अकेले पैरों में छाले पड़ जायेंगे कई उँगलियाँ उठेगी कई भौवें भी तनेगी हर
Read Moreसुबह सुबह एक बात हो गई, अपने आप से ही बात हो गई भीतर से सवाल आया, बताओ कुपोषण का
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