पाठशाला
छटपटाहट देखी सरकारी चोरों की कहने को अध्यापक कहलाते गरिबों का आटा तक खा जाते अध्यापन मात्र एक स्वप्न यहाँ
Read Moreश्रीमती जी मेरी मायके गयी है खरी खरी वो मुझे सुनाके गयी है आते है रात में खौफनाक सपने आके
Read Moreराम मेरे नही राम तेरे नही , राम सनातनियों के है राम हम सबके है किसने कहा भाजपाइयों के है
Read Moreअपने अरमानों को अधूरा छोड़ कर, जो हमारे अरमान पूरे करें, वह है पिता ! जो ख़ुद दर्द में भी
Read Moreकभी मिलना उन गलियों में जहाँ छुप्पन-छुपाई में हमनें रात जगाई थी जहाँ गुड्डे-गुड़ियों की शादी में दोस्तों की बारात
Read Moreजनक नंदिनी सीता, चाहत चाह पिता की, जगत रक्षिणी न्यारी, वैदेही सुकुमारी। धन्य सु-अवतरण, मिथिला रजत कण, कुंभ हल धार
Read Moreटिकी रहती है दरवाजे पर वो दो जोड़ी आँखें…. टकटकी लगाए देखती है हर आने जाने वाले को करती है
Read More“पिता” माथे पर न दिखने वाली शिकन मन में न दिखने वाली दर्द भरी चुभन हर पिता की अनकही निशानी
Read More