उमड़-घुमड़ कर बदली आई
काली-काली घटा देखकर, उमड़-घुमड़ कर बदली आई। बिखर गई वह बारिश बनकर, धरती पर हरियाली छाई। मोर नाचते कोयल गाए,
Read Moreकाली-काली घटा देखकर, उमड़-घुमड़ कर बदली आई। बिखर गई वह बारिश बनकर, धरती पर हरियाली छाई। मोर नाचते कोयल गाए,
Read Moreबचपन की हर बात निराली। शुभता की सौगात सँभाली।। बचपन से ईश्वर की तुलना। पानी में मिश्री का घुलना। पारदर्शिता
Read Moreलाल रंग की सुघर सुराही। मिट्टी से ये बनी सुराही।। शीतल जल दे प्यास बुझाती, अपनापन दे नित्य सुराही। गर्मी
Read Moreहुआ सवेरा एक है मिटा अंधेरा अनेक है, जीवन की लालिमा छाई बुराई की कालिमा भगाई, नन्हें मुन्ने फूलों ने
Read Moreकुहू कुहू कोयल की सुनकर कौआ रह गया जल भुनकर। एकदिन उसने जाल बिछाया जाकर कोयल को उकसाया। उससे करने
Read Moreबाल कविता “आम और लीची” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—आम फलों का राजा होतालीची होती रानीगुठली ऊपर गूदा होताछिलका है बेमानी—जब बागों
Read Moreरहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreखुशियों वाले नव रंगों से ,बाग़ सजाने आई तितली। उपवन के नव फूलों पे ,प्रीत लुटाने आई तितली। देख बहारें
Read Moreबालकविता “खेतों में शहतूत उगाओ”(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—कितना सुन्दर और सजीला।खट्टा-मीठा और रसीला।।—हरे-सफेद, बैंगनी-काले।छोटे-लम्बे और निराले।।—शीतलता को देने वाले।हैं शहतूत
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