गीत : अब सरदी की हवा चली है
अब सरदी की हवा चली है, गरमी अपने गाँव चली है। कहीं रजाई या फिर कम्बल, और कहीं है टोपा
Read Moreअब सरदी की हवा चली है, गरमी अपने गाँव चली है। कहीं रजाई या फिर कम्बल, और कहीं है टोपा
Read Moreशरदपूर्णिमा है जब आती। चमक चाँद की तब बढ़ जाती।। धरती पर अमृत टपकाता। इसका सबको “रूप” सुहाता।। नभ में
Read Moreमामू की शादी में हमने, खूब मिठाई खाई। नाचे-कूदे, गाने गाए, जमकर मौज मनाई। आगे-आगे बैण्ड बजे थे, पीछे बाजे
Read Moreचलो, बुहारें अपने मन को, और सँवारें निज जीवन को। चलो स्वच्छता को अपना लें, मन को निर्मल स्वच्छ
Read Moreबच्चो, चलो चलाएं चरखा, बापू जी ने इसको परखा। चरखा अगर चलेगा घर-घर, देश बढ़ेगा इसके दम पर।
Read Moreआओ बाबू, लाला आओ, गरमागरम समोसे खाओ। काजू, किसमिश, मेवे वाला, धनियाँ मटर पुदीना डाला। आलू इसमें शिमले वाला, डाला
Read Moreमेरे पापा सबसे अच्छे, मेरे संग बन जाते बच्चे। झटपट वो घोड़ा बन जाते, और पींठ पर मुझे बिठाते।
Read Moreमेरे घर आँगन में, गौरैया नित आओ।। ढेर परिंडे बाँधे, कई नीड़ बनवाये। विकसित किया सरोवर, कई पेड़ लगवाये। खुशबू से महके
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