अहसान का मोल
गांव के एक छोटे से घर में रामलाल और उनकी पत्नी सुमित्रा रहते थे। दोनों ने अपनी पूरी जिंदगी मेहनत-मज़दू़री
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Read Moreअशोक ने जैसे ही शोभा के मरने की खबर फोन पर बताई, मैं ठगी सी रह गई. मैं पति सुनील
Read Moreइसको पहले तो यहां कभी नहीं देखा था, मेरी इस डायरी के अवराक़ में अगर आप अपने आप को तलाश
Read More“बाबूजी! बाबूजी! कहाँ हैं आप? दरवाजा खुला छोड़ दिया है,” कहते हुए ऋतु हैन्डबैग लिये अंदर आयी।“तू अचानक यहाँ मुझ
Read Moreकार गांव की तंग पहाड़ी रास्ते से गुजर रही थी। हरे भरे पेड़ों की ठंडी छाया में मौसम सुहावना लग
Read Moreपूरे घर में मुर्दनी छा गई थी। मां के कमरे के बाहर सिर पर हाथ रखकर बैठी उदास दाई मां,
Read Moreमाँ! मुझे नौकरी मिल गई है। सुदेश की यह बात सुनकर उसकी माँ शीला मारे खुशी के उछल पड़ी। शीला
Read Moreअक्षर, पांखी, मानव और देवांश आज बहुत खुश थे। ये चारों दोस्त अपने-अपने परीक्षा परिणामों को हाथ में लिए एक
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