लम्बी कहानी ‘रखैली’ – भाग 4
(3) सज्जाद की हवेली सारिका को अपने ख्यालो में भी ये उम्मीद नहीं थी कि स्यालकोट के पास महमूदाबाद कस्बे
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Read Moreसुरमई संगीत से समां सुहाना हो गया था। जगह-जगह ‘वन्य जीव सप्ताह’ के उपलक्ष्य में बैनर, गुब्बारे, सजावट से जंगल
Read Moreधनतेरस का दिन था। कार्तिक मास की काली रातों ने सच में रंजन के घर-परिवार
Read Moreये फैमनिस्ट जो किसी सतायी गई औरत के लिए बाबुलंद आवाज़ उठाती है उनके लिए सोशल साईट पर तमाम क्रन्तिकारी
Read Moreदोनों कामकाजी होने के कारण साथ में कम ही समय गुजार पाते थे आज मोहित और रीना साथ में मुंडेर
Read Moreघर पर कार्य चल रहा था । दोपहर को अपने मजदूर के लिए नाश्ता लेने मैं हलवाई की दुकान पर
Read Moreअनुभव ने लाला मदन लाल को कहा-” मुझे बढ़िया से जूते दिखाओ ‘।लाला का नौकर उसे जूते दिखाता गया और
Read More“यूँ ही नहीं होती हाथों में उंगलियाँ,ईश्वर ने किस्मत से पहले मेहनत को रखा है।” मैं आसिया फारुकी आपको अपनी
Read Moreसज्जाद की सहेली हालाँकि सज्जाद की पूछी गई पहेली के कोई मायने नहीं थे। न ही उसकी शर्त मानने को
Read More“धरा नहीं जो धारण कर ले… आसमान है पिता ,बरसता है नेह बनकर दूर से चुपचाप….” पिता होना माँ होने से
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