गरीबी
विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे।
Read Moreमोहन रोज घर से कार्यालय तक का लगभग बीस किलोमीटर का सफर बस द्वारा तय करता था । पिछले दो
Read Moreज़िंदगी का सफर पिताजी ने हमेशा समझाया कि जब भी यात्रा करो, सामान की सुरक्षा के लिए उसे चैन लगाकर लाक
Read Moreलघुकथा रिश्ता वही, सोच नई “बेटा, क्या तुम्हें हमारी बेटी पसंद है ?” लड़की के पिता रमेश जी ने पूछा।“जी
Read Moreकुत्ते से सावधान मुझे मंत्रीजी ने कहा था कि साहब लोगों से ऑफिस में अच्छे से बातचीत नहीं हो पाती
Read Moreरमेश से शादी के बाद पहली बार शहर आई नीलम आज बहुत खुश थी-“अरे नई-नवेली बहू है, होली नहीं मनाएगी
Read Moreएक पत्रिका के उप संपादक ने मेरी एक रचना अपनी पत्रिका में अपने नाम से छाप दी थी। इसकी सूचना
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