कहानी – सिसकती संध्या
चंडीगढ़ के एक ओल्ड एज होम में मास्टर प्रभात को अपनी जिंदगी की शाम के यह अंधेरे गुमनाम दिन काटते
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Read Moreसुबह से ही फोन घनघना रहे थे।निशा फोन पर बातें करते -करते जैसे थक सी गई थी।सारे नाते-रिश्तेदारों के फोन
Read Moreरमेश कुमार बचपन से ही प्रतिभाशाली था। वह बड़ा होकर सेना या पुलिस विभाग में उच्च अधिकारी बन देश की
Read Moreदीपावली करीब आ रही थी। राघव और उसके बच्चे घर की साफ सफाई में व्यस्त थे। राघव की पत्नी रीता
Read Moreनीलिमा मेरी बचपन की बहुत अच्छी सहेली थी। आधा किलोमीटर की दूरी पर घर होने के कारण हमारा प्रायः एक
Read Moreआखि़र वह कौन सा वादा था जो उन दोस्तों मंे से किसी एक को पूरा करना था। वादा यह था
Read Moreमोहन अभी दस साल का ही था तो पिता का साया सिर से उठ गया। लाजो अभी जवान थी ।कोई
Read Moreसुबह का समय ! एक रेस्तरां का दृश्य जिसमें बेतरतीब बिछी कुछ मेजों पर बैठे कुछ लोग नाश्ता कर रहे
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