सदाचरण के छंद
नहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक। सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक।। सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत। जहान धर्म-कर्म मान,मीत
Read Moreनहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक। सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक।। सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत। जहान धर्म-कर्म मान,मीत
Read More(1) नारी से शोभा बढ़ती है,नारी फर्ज़ निभाती है। नारी कर्म सदा करती है,नारी द्वार सजाती है।। सबको कब यह
Read Moreअपना कोई है नहीं, मतलब का संसार। स्वार्थ जहाँ पर पूर्ण हो, वो ही रिस्तेदार। वो ही रिस्तेदार, खास हैं
Read Moreभागा सुख को थामने,दिया न सुख ने साथ। कुछ भी तो पाया नहीं ,रिक्त रहा बस हाथ।। रिक्त रहा बस
Read More-1- माँ की ममता- मापनी,बनी नहीं भू मंच। संतति का शुभ चाहती,नहीं स्वार्थ हिय रंच नहीं स्वार्थ हिय रंच,सुलाती शिशु
Read More-1- पढ़ना-लिखना छोड़कर, चमचा बनना ठीक नेता का अनुगमन कर,पकड़ एक ही लीक। पकड़ एक ही लीक,सियासत में घुस जाना।
Read Moreशिल्प विधान – जगण जगण , 121 121 चरण तुकांत, 6 वर्ण प्रति चरण 1. बढ़े हम वीर । बने
Read Moreमनहरण घनाक्षरी छंद विधान – 88,87 प्रथम नमन मेरा ,जन्म दायिनी माँ को है द्वितीय नमन मेरा, ईश सम
Read More:1: खाली करिए राजपथ, जनता है बेहाल । घर में सब ही कैद हैं, जीना हुआ मुहाल ।। जीना हुआ
Read Moreदिव्य दिवाकर,नाथ प्रभाकर,देव आपको,नमन करूँ। धूप-ताप तुम,नित्य जाप तुम,करुणाकर हे!,तुम्हें वरूँ।। नियमित फेरे,पालक मेरे,उजियारा दो,पीर हरो। दर्द लड़ रहा,पाप अड़
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